उत्तराखण्डउधम सिंह नगरकुमाऊं,

उत्तराखंड- यहाँ मकान में सो रहे लकवाग्रस्त बुजुर्ग की जलकर हुई मौत, कमरे से आग की लपटें निकलती देख मची चीख पुकार

मुंडेली क्षेत्र में रविवार रात एक बुजुर्ग मकान में जिंदा जल गए। लकवाग्रस्त होने के कारण वह बिस्तर से उठ नहीं सके। जब तक अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंचती तब तक बुजुर्ग की मौत हो चुकी थी। आशंका जताई जा रही है कि बीड़ी की चिंगारी से आग लगी होगी।

 

 

मुंडली चौराहा, वार्ड नंबर 20 निवासी श्यामलाल गंगवार उम्र 79 वर्ष रविवार रात अपने कमरे में सोए हुए थे। उसके तीन बेटे और पौत्र मकान के दूसरे कमरों और दोमंजिले में सोए हुए थे। मध्यरात्रि के समय बुजुर्ग के कमरे में आग गई। कमरे से लपटें उठतीं देख परिवार के सदस्यों के साथ ही पड़ोसी भी जाग गए। रात करीब पौने एक बजे आग लगने की सूचना मिलने पर अग्निशमन अधिकारी सुभाष जोशी और कोतवाल मनोहर सिंह दसौनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन तब तक कमरे में फंसे बुजुर्ग की जान जा चुकी थी। इस दौरान उनका पूरा कमरा जलकर राख हो गया।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ गुलदार के बाद बाघ का आतंक, जंगल में घास लेने गई महिला को बाघ ने बनाया अपना निवाला, उठी आदमखोर घोषित करने की मांग

 

परिजनों ने बताया कि करीब एक माह पहले ब्रेन स्ट्रोक के चलते श्यामलाल के शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। इस कारण वह ठीक से बोल भी नहीं पाते थे। परिजनों ने बताया कि वह बीड़ी पीते थे। हो सकता है कि बीड़ी की चिंगारी से बिस्तर में आग लगी हो। परिजनों ने बताया कि रात को कमरे की खिड़की से आग की लपटें उठती देख उन्हें घटना के बारे में पता चला।

 

 

कोतवाल ने बताया कि प्रथम दृष्टया मालूम पड़ रहा है कि बुजुर्ग के बीड़ी पीने के दौरान चिंगारी से बिस्तर में आग लगी हो। कमरे में अकेले और लकवाग्रस्त होने के कारण बिस्तर से उठ न पाने से बुजुर्ग की झुलसने से मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। 

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंडदून में बढ़ रहे कोरोना के मामले, एम्स की नर्सिंग अधिकारी समेत तीन Covid Positive

उम्र बढ़ने के साथ ही जिंदगी से करने लगे थे जंग
बुजुर्ग श्यामलाल गंगवार की झुलसने से मौत की दुखद घटना से परिवार के साथ ही आस पड़ोस में भी मातम छा गया। परिवार को सांत्वना देने वाले लोग दिनभर घर में पहुंचते रहे। लोग उम्र बढ़ने के साथ ही जिंदगी से जंग करने के उनके हौसले को याद कर रहे थे।
वह कई वर्षों से परिवार के साथ मुंडेली चौराहे के पास रहते थे। उनके तीन पुत्र प्रेमपाल, हरीश और राजेश हैं जबकि बड़ी बेटी माया का रिठौरा, बरेली में विवाह हुआ है। उनके बेटों ने बताया कि उनके पिता पीलीभीत मार्ग स्थित एक फैक्टरी में माली थे। इसके उनकी पहचान बाबूराम माली के रूप में हो गई थी। कोई भी रिश्तेदार या परिचित जब उनका पता पूछते हुए आता तो सभी बाबूराम माली का नाम ही बताते थे।

बड़े बेटे प्रेमपाल ने बताया कि पांच साल पहले एक बार कुर्सी से गिरकर उसके पिता के पैर की हड्डी भी टूट गई थी। एक माह पहले ब्रेन स्टोक पड़ने से उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। उसके बाद से वह असहाय हो गए थे। वह ठीक से बोल भी नहीं पाते थे। फिर उन्होंने बिस्तर ही पकड़ लिया था। आखिर रविवार रात बिस्तर में ही उनकी मौत हो गई। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून-(बड़ी खबर) राज्य में आम आदमी को जमीन खरीदना और घर बनाना हुआ महंगा, बढ़ गए सर्किल रेट.. पढ़िये..