हल्द्वानी- बनभूलपुरा हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक और उसके बेटे सहित नौ की संपत्ति होगी कुर्क, आदेश जारी
हल्द्वानी न्यूज़- हल्द्वानी सिविल कोर्ट ने हल्द्वानी हिंसा के नामजद मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक, उसके बेटे सहित नौ उपद्रवियों की संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने सभी नौ आरोपियों पर सीआरपीसी की धारा 82, 83 के तहत करवाई की अनुमति दे दी है। पुलिस ने कोर्ट में आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने के लिए आवेदन किया था।
आठ फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। इसमें 18 लोगों को नामजद किया गया था। इनमें से पुलिस अब तक सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक, उसका बड़ा बेटा अब्दुल मोईद और निवर्तमान पार्षद शकील अंसारी सहित तमाम लोग फरार हैं।
मंगलवार को सिविल कोर्ट ने सभी नौ आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे। बुधवार को पुलिस दोबारा कोर्ट पहुंची और इन नौ आरोपियों की रिपोर्ट भी पेश की। पुलिस ने इन उपद्रवियों के खिलाफ धारा 83 की तहत कार्रवाई करने की मांग की। कोर्ट ने इसके बाद अब्दुल मलिक, उनके बेटे अब्दुल मोईद, निवर्तमान पार्षद शकील अंसारी, वसीम उर्फ हप्पा, मोकिन सैफी, एजाज अहमद, तस्लीम, जियाउल रहमान और रईस उर्फ दत्तू की संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी कर दिए। पुलिस ने इन सभी की धरपकड़ के प्रयास तेज कर दिए हैं। पुलिस इनकी लोकेशन खंगालने के साथ-साथ गिरफ्तारी के लिए भी उनके परिचितों, रिश्तेदारों के घरों में दबिश दे रही है।
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने बनभूलपुरा में हुए उपद्रव, सरकारी वाहन और थाना फूंकने के मामले की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने लोगों को साक्ष्य प्रस्तुत करने और अपने बयान देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। कोई भी व्यक्ति सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक कमिश्नर के सामने प्रस्तुत होकर साक्ष्य और बयान दे सकता है।
बनभूलपुरा में उपद्रव में वहीं के कई राजनीतिक दलों के नेताओं का हाथ भी सामने आ रहा है। हिंसा मामले में पुलिस को कई साक्ष्य मिले हैं। अब पुलिस इन नेताओं की सीडीआर की जांच भी कर रही है। जल्द ही इस मामले में बड़ी गिरफ्तारी हो सकती है।
हाईकोर्ट ने हल्द्वानी स्थित मलिक और नजाकत अली के बगीचे मामले में सुनवाई के बाद सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मलिक के बगीचे मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने ऑनलाइन बहस की। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट में बहस के दौरान सरकार की ओर से से कहा गया कि विवादित भूमि नजूल भूमि थी। इसे दस वर्षों की लीज पर कृषि कार्यों के लिए दिया गया था लेकिन लीज खत्म होने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं हुआ। यह भी बताया गया कि अगर दिए गए कारण के अलावा भूमि को दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो नियमानुसार लीज स्वतः ही निरस्त मानी जाती है।
नामजद नौ आरोपी फरार हैं। पुलिस इनकी गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट में गई थी। कोर्ट ने बुधवार को नौ नामजद आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
– योगेंद्र सिंह रावत डीआईजी कुमाऊं